हाकिंग और कृष्ण विवर
कृष्ण विवरों के सबंध में हमारी वर्तमान समझ भौतिकविद् स्टीफन हाकिंग के कार्यों पर आधारित हैं। हाकिंग ने वर्ष 1974 में ‘कृष्ण विवर इतनें काले नही’ (Black Holes Ain’t So Black) शीर्षक से एक शोधपत्र प्रकाशित करवाया। इस शोधपत्र में हाकिंग ने सामान्य सापेक्षता सिद्धांत एवं क्वांटम भौतिकी के सिद्धांतों के आधार पर यह दर्शाया कि कृष्ण विवर पूरे काले नही होते हैं, बल्कि ये अल्प मात्रा में विकिरणों को उत्सर्जित करतें हैं। हाकिंग ने यह भी प्रदर्शित किया कि कृष्ण विवर से उत्सर्जित होने वाली विकीरणें क्वांटम प्रभावों के कारण शनै: शनै: बाहर निकलती हैं। इस प्रभाव को ‘हाकिंग विकीरण’ (Hawking Radiation) के नाम से जाना जाता हैं। हाकिंग विकीरण प्रभाव के कारण कृष्ण विवर अपने द्रव्यमान को धीरे-धीरे खोने लगते हैं, तथा ऊर्जा का भी क्षय होता हैं (E=mc²)। यह प्रक्रिया लम्बें अंतराल तक चलने के बाद अन्ततोगत्वा कृष्ण विवर वाष्पन को प्राप्त होता हैं। दिलचस्प बात यह हैं कि विशालकाय कृष्ण विवरों से कम मात्रा में विकिरणों का उत्सर्जन होता हैं, जबकि लघु कृष्ण विवर बहुत तेजी से विकिरणों का उत्सर्जन करके वाष्प बन जाते हैं।
बहरहाल, हम कृष्ण विवरों को समझने की यात्रा को यहीं समाप्त करते हैं। निश्चित रूप से हम यह आशा कर सकतें हैं कि वैज्ञानिक भविष्य में कृष्ण विवरों के बारे में और रोचक एवं विचित्र गुणधर्मों को खोजें।