इन अदृश्य पिंडों को कैसे खोजा जा सकता हैं ?
जैसाकि हम जानतें हैं कि कृष्ण विवर प्रकाश की किरणों को उत्सर्जित नहीं करतें हैं, तो हम इन्हें खोजने की अपेक्षा कैसे कर सकते हैं? यह खगोलविदों के लिए एक गम्भीर समस्या थी। परन्तु खगोलविदों ने इस समस्या का भी समाधान ढूढ़ निकाला। मिशेल के अनुसार कृष्ण विवर अदृश्य होने पर भी अपने निकट स्थित पिंडों पर गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव डालता हैं। खगोलविदों ने इस परियोजना के अंतर्गत आकाश में स्थित उन युग्म तारों का प्रेक्षण किया, जो एक-दूसरे के गुरुत्वाकर्षण से बंधकर एक-दूसरे की परिक्रमा करतें हैं। कल्पना करें की आकाश में दो तारें एक दूसरे की परिक्रमा कर रहे हैं, उनमें से एक तारा अदृश्य हैं तथा दूसरा तारा दृष्टिगोचर हैं। ऐसी स्थिति में दृश्य तारा अदृश्य तारे की परिक्रमा करेगा। यदि आप जल्दबाजी में अदृश्य तारे को कृष्ण विवर मान लेते हैं तो आप गलत भी हो सकतें हैं क्योंकि यह एक ऐसा तारा भी हो सकता हैं जो हमसे बहुत दूर हैं और उसका प्रकाश इतना धीमा हैं कि हमे दिखाई न दे रहा हो। यदि खगोलविद दृश्य तारे के कक्षा से सबंधित खगोलीय गणनाओं के आधार पर उसके द्रव्यमान से सबंधित जानकारी एकत्र कर लेगा तो वह खगोलीय विधियों द्वारा सरलता से उस अदृश्य तारे के द्रव्यमान के बारे में पता लगया जा सकता हैं। यदि उसका द्रव्यमान सौर द्रव्यमान से तीन-चार गुना अधिक होता हैं, तो अत्यधिक सम्भावना हैं कि वह अदृश्य तारा एक कृष्ण विवर हैं।
कृष्ण विवरों के अस्तित्व को सिद्ध करने का एक अन्य उपाय भी हैं। कल्पना करें कृष्ण विवर के निकट एक दृश्य तारा हैं, तब कृष्ण विवर इस दृश्य तारे की गैसीय द्रव्यराशि को उसके पृष्ठभाग से अपनें में खींचता रहेगा। कृष्ण विवर में दृश्य तारे की द्रव्यराशि के गिरने के कारण उसमें से काफी तेजी से एक्स-किरणें उत्सर्जित होने लगेंगी (घर्षण, ताप एवं दाब के कारण)। तब एक्स-किरणों के उद्गम के निरीक्षण एवं अध्ययन से कृष्ण विवर के भौतिक विद्यमानता को सिद्ध किया जा सकता हैं।
खगोलविदों को वर्ष 1965 में हंस (Cygnus) तारामंडल में एक अत्यंत प्रचंड एक्स-रे स्रोत मिला। उस स्रोत को ‘सिग्नस एक्स-1’ (Cygnus X-l) नाम दिया गया। वर्ष 1970 में अमेरिका द्वारा प्रक्षेपित एक उपग्रह द्वारा यह पता चला कि सिग्नस एक्स-1 कोई श्वेत वामन या न्यूट्रान तारा नही हैं, बल्कि एक कृष्ण विवर हैं। दरअसल सिग्नस एक्स-1 एक युग्म तारक-योजना हैं। इस युग्म तारे का दृश्य तारा अत्यंत विशाल हैं, जो अदृश्य तारे की परिक्रमा कर रहा हैं। खगोलविदों ने सिग्नस एक्स-1 के द्रव्यमान का निर्धारण खगोलीय विधियों द्वारा छह सूर्यों के द्रव्यमान के बराबर की हैं। इससे यह स्पष्ट होता हैं कि सिग्नस एक्स-1 एक कृष्ण विवर हैं।