ब्रह्माण्ड का विस्तार
कितना बड़ा है ब्रह्माण्ड ? यह पहेली अभी भी मनुष्य द्वारा नहीं सुलझाई जा सकी है, इसलिए ब्रह्मांड की सीमा का वर्णन करने के लिए अनंत शब्द जोड़ा गया है। अनंत जिसका कोई अंत नहीं. लेकिन प्रकृति के नियमों में हर किसी की सीमाएं हैं, कोई भी अपनी सीमा को पार नहीं कर सकता। फिर यही नियम संभवतः ब्रह्माण्ड पर भी लागू होना चाहिए।
मनुष्य एक निश्चित सीमा तक ब्रह्माण्ड के अन्तरिक्ष में फैली हुई वस्तुओं को अपनी आँखों से देख सकता है। लेकिन दूरबीन की सहायता से मनुष्य ने अपनी सीमाएं बढ़ा ली हैं और वह उससे भी आगे की चीजें देख रहा है। तब यह देखा जाता है कि ब्रह्माण्ड अभी भी अनंत है, चाहे मनुष्य इसकी सीमाओं का कितना ही विस्तार क्यों न कर ले।
उत्पत्ति में सीमा की अवधारणा को ही बदल देने से ब्रह्माण्ड असीमित प्रतीत होने लगता है।
ब्रह्मांड को मापने के लिए हमें पहले अपने आकार पर विचार करना होगा। पृथ्वी का व्यास 'अमीबा' से कैसे मापा जा सकता है जो इतने छोटे हैं कि सुई की नोक पर लाखों की संख्या में रह सकते हैं? यदि यही समीकरण ब्रह्माण्ड के लिए लिया जाए तो हम संभवतः अमीबा से कई गुना छोटे होंगे। ऐसे में हमारे लिए ब्रह्मांड का आकार अनंत ही मानना चाहिए।
वैज्ञानिकों के अनुसार ब्रह्माण्ड का लगातार विस्तार हो रहा है। यानी, वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला है कि स्थिर प्रतीत होने वाला ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है। इसका मतलब यह है कि यदि हम ब्रह्मांड की सीमा, जो मूल रूप से अनंत है, को नहीं माप सकते हैं तो भविष्य में यह संभव नहीं होगा। जाहिर है, किसी बड़ी वस्तु में परिवर्तन की दर भी आकार के आधार पर बहुत बड़ी होती है।
फिर सवाल उठता है कि अगर यह संभव नहीं है तो फिर दायरा मापने की व्यर्थ कोशिश क्यों की जाए ?
इस प्रश्न का उत्तर उतना कठिन नहीं है, असंभव को खोजने से कई अज्ञात का पता चलता है। ब्रह्मांड की सीमा को मापने के प्रयासों ने वैज्ञानिकों को ब्रह्मांड में कई अन्य चीजों के बारे में जानकारी दी है। यह ज्ञात नहीं है कि भविष्य में इस अन्य महत्वपूर्ण जानकारी के माध्यम से कम से कम मनुष्य ब्रह्मांड के निर्माण का रहस्य पता लगा सकेंगे।
खोज प्रयास से निश्चित रूप से भविष्य मे कई सवालो के जवाब मिलेंगे।