कभी कभी दुख की कोई सीमा मिलती ही नही, न उससे बचने का कोई किनारा, ऐसा लगता है की बस धरती फट जाए, और मुझे समा ले अपनी गोद मे सीता मईया की तरह, हम नही ढूंढ पाते कोई निदान उसका, जिन दुखो से आत्मा तक छलनी होती हो, जो तोड़ देते है आत्म विश्वास को, जो सहनशक्ति भी खत्म कर देते है, जिन के आने से लगता है कि बस, अब नही जीना हमको, अब और कुछ सह नही सकते, मन के भीतर का उठता सैलाब, भावनाओ की उथल पुथल, व्यथित मन को और जोर जोर से झकझोरती धड़कने, श्वास मानो चलना ही नही चाहती, बस थम जाना चाहती है हमेशा के लिए, वो आंखे जिन पर हमारी हुकूमत चलती है, वो झर झर बहती जाती है किसी झरने के समान, जो निरंकुश है, जिसे रोकना असंभव है, जिसका वेग बहा ले जा रहा है, हमारे अंदर से बहुत कुछ, और खाली हो रहा है भीतर ही भीतर व्यक्तित्व मेरा, जितना रोकना चाहे इस वेग को, उन आंसुओ को, वो उतनी तेजी से बहना आरंभ कर देते है, और दर्द है कि कम होने की बजाय, बस बढ़ता ही जा रहा हो जैसे....! वो पल ऐसा होता है कि मानो, मृत्यु से पहले ही मृत्यु हो गई हो..! ✍️✍️✍️......✍️ #Eralokkumar #alokfbFamily #aloksir #Guddusingh #alok #princeofga...