तथ्य-विवेचना
भाग 3...
क्वान्टम भौतिकी के कुछ तथ्य
आधुनिक भौतिकी में क्वान्टम भौतिकी एक प्रमाणित और प्रतिष्ठित शाखा है। यह अत्यन्त छोटे कणों के व्यवहार को दिखाने के लिए एक बहुत उपयुक्त शाखा है। वस्तुतः बड़े स्तर पर सापेक्षता का सिद्धान्त और छोटे स्तर पर क्वान्टम भौतिकी 'क्लासिकल फिजिक्स' के बाद भौतिकी के दो आधार स्तम्भ हैं। बिना क्वान्टम फिजिक्स के हम कण भौतिकी में आगे नहीं बढ़ सकते हैं। भौतिकी की यह शाखा अनेक ऐसी बातों को बताती है जो हमारी सामान्य बुद्धि और हमारे रोजमर्रा के अनुभवों से परे होने के कारण अत्यन्त आश्चर्यजनक हैं लेकिन जो प्रमाणित रूप से सत्य हैं।
क्वान्टम भौतिकी हमें अनेक गुणों के क्वान्टीकरण के बारे में बताती है। उदाहरण के लिए यह बताती है कि ऊर्जा, समय, संवेग और कोणीय संवेग जैसी अनेक चीजें निरन्तर नहीं वरन् छोटे-छोटे पैकेटों - क्वान्टा - में बंटी होती हैं। यह हमें 'Wave-particle Duality' के बारे में बताती है। इसका अर्थ है कि कोई भी गतिशील कण एक साथ एक तरंग और कण - दोनों - के रूप में होता है। यह हमें 'सुपरपोजीशन' के बारे में बताती है, जिसका अर्थ है कि किसी कण की तब तक एक साथ विभिन्न अवस्थाएं होती हैं जब तक उसे देखा नहीं जाता है, अथवा किसी यंत्र द्वारा उसकी अवस्था या स्थिति को रिकॉर्ड नहीं किया जाता है। ऐसा करने पर उसका 'वेव फंक्शन' उसकी अनेक अवस्थाओं में से किसी एक अवस्था में कोलैप्स कर जाता है। इस सिद्धान्त के ऊपर क्वान्टम कम्प्यूटर बनाए गए हैं जो अति तीव्र गति से गणना कर सकते हैं। सुपरपोजीशन के सिद्धान्त को हम 'श्रोडिंगर कैट' के इस काल्पनिक उदाहरण से समझ सकते हैं...
मान लीजिए एक बंद बक्से में एक बिल्ली, एक रेडियोएक्टिव पदार्थ का एक परमाणु, एक गीगर काउंटर, एक हथौड़ा और एक जहरीली गैस से भरी बोतल है। इन सब चीजों की सेटिंग इस प्रकार की गई है कि रेडियोएक्टिव पदार्थ के परमाणु का क्षय होने पर गीगर काउंटर उसे अनुभव करेगा और वह उस हथौड़े को संचालित करेगा, हथौड़ा उस जहरीली गैस की बोतल को फोड़ देगा और बिल्ली मर जाएगी। तो क्योंकि यह निश्चित नहीं है कि उस रेडियोएक्टिव परमाणु का क्षय होगा अथवा नहीं, इसलिए यह भी निश्चित नहीं होगा कि वह बिल्ली मर गई है अथवा जीवित है। क्वान्टम नियमों के अनुसार वह एक साथ ही जीवित और मृत होगी। बक्से को खोले जाने पर ही यह तय हो पाएगा कि बक्से को खोलने के समय वह बिल्ली किस अवस्था में है। तभी वह जीवित अथवा मृत - किसी एक - स्थिति में पहुंच पाएगी। यह बात कॉमन सेंस से परे लगती है लेकिन कणों के स्तर पर यह सत्य है।
क्वान्टम भौतिकी हमें 'एन्टैंगलमेंट' के बारे में बताती है जिसमें एक 'जोड़े' के दो कण एक-दूसरे से बहुत अधिक दूरी पर - करोड़ों-अरबों प्रकाश वर्ष दूर भी - होने पर भी एक-दूसरे से जुड़े होते हैं और एक कण पर पड़ने वाला प्रभाव तुरंत ही दूसरे कण पर भी उसी रूप में महसूस होता है। क्वान्टम भौतिकी हमें 'क्वान्टम टनेलिंग' के बारे में बताती है जिसका अर्थ होता है कि कण ऊर्जा के ऐसे अवरोधों को भी पार कर सकते हैं जिन्हें सामान्य बुद्धि के अनुसार उन्हें पार करते हुए नहीं होना चाहिए था। वह एक 'सुरंग' द्वारा उसे पार कर लेते हैं।
क्वान्टम भौतिकी हमें अनिश्चितता के सिद्धान्त के बारे में बताती है। यह सिद्धान्त हमें बताता है कि हम किसी समय किसी कण के संवेग और उसके स्थान को पूरी शुद्धता में नहीं नाप सकते हैं। उनके संवेग और स्थान में सदैव एक अनिश्चितता होती है। यह अनिश्चितता और इन्हें शुद्ध रूप में न नाप पाना हमारे यंत्रों अथवा हमारी गणनाओं की कमी के कारण नहीं है वरन् यह इस ब्रह्माण्ड का एक मूलभूत गुण है। इन दोनों अनिश्चितताओं का गुणनफल एक निश्चित राशि से कम नहीं हो सकता है और वह निश्चित राशि 'प्लैंक नियतांक' से संबंधित होती है। एक परमाणु में नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाते समय इलेक्ट्रॉन का एक समय में कोई निश्चित स्थान नहीं होता है। यह नाभिक के चारों ओर एक बादल के रूप में चुपड़ा हुआ होता है - यह एक साथ हर स्थान पर होता है।
क्वान्टम सिद्धान्त हमें बताता है कि एक कण को सीधी रेखा में फेंके जाने पर वह एक साथ हर संभव मार्ग से उस दूसरे स्थान पर जाता है। वह वहां सीधा भी जाएगा, मेरी मेज का चक्कर लगा कर भी, पृथ्वी का चक्कर लगा कर भी, किसी तारे का चक्कर लगा कर भी, हमारी आकाशगंगा का चक्कर लगा कर भी और ब्रह्मांड का चक्कर लगा कर भी। वह इन सब स्थानों पर एक साथ होगा। केवल उसके विभिन्न स्थानों पर पाए जाने की संभावनाएं अन्तर रखते हुए होंगी।
क्वान्टम सिद्धान्त बताता है कि किसी कण का, और हमारा भी, इतिहास और भविष्य निश्चित नहीं होता है। किसी कण को देखने पर उसका इतिहास और उसका भविष्य बदल जाता है। कणों के स्तर पर होने वाली यह सब बातें बड़े स्तर पर भी होती हैं, लेकिन वह किस प्रकार होती हैं, इस पर मैं बाद में आऊंगा।
क्वान्टम सिद्धान्त इन तमाम अनिश्चितताओं की संभावनाएं बताता है। इन संभावनाओं की एक सीमा तक गणना की जा सकती है। क्वान्टम सिद्धान्तों के अनुसार यह संसार अनियमितताओं और अनिश्चितताओं का संसार है। एक उदाहरण लेते हैं... किसी रेडियोएक्टिव पदार्थ की एक निश्चित अर्ध-आयु होती है। उस आयु में उसकी कोई भी मात्रा अपनी मूल मात्रा की आधी रह जाती है। ऐसा उस रेडियोएक्टिव पदार्थ के नाभिक में रेडियोएक्टिव क्षय होने के कारण होता है। उसके नाभिक में से अल्फा और बीटा किरणों के रूप में प्रोटॉन, न्यूट्रॉन और इलेक्ट्रॉन निकलते रहते हैं। इसके अतिरिक्त उसमें से गामा किरणें भी निकलती है। इस कारण उसका नाभिक उत्तरोत्तर नये तत्वों में बदलता रहता है। लेकिन भले ही उस पदार्थ के आधा क्षय होने की आयु निश्चित होती हो, यह पूरी तरह अनिश्चित होता है कि उसका कोई नाभिक कब टूटेगा - हो सकता है कि वह अगले ही क्षण टूट जाए और हो सकता है कि वह लाखों वर्षो तक न टूटे।
क्वान्टम सिद्धान्त हमें अनेक घटनाओं की Unpredictability के बारे में बताता है। यह हमें मानवीय व्यवहार की अनेक अनिश्चितताओं और उसकी स्वतंत्रता के बारे में भी बताता है।
ये सब सिद्धान्त - जो परखे जा चुके हैं और जिनको मैं आगे अभी और लूंगा, और जो हमारी कण भौतिकी का आधार हैं, और जो बड़े स्तर पर भी ब्रह्माण्ड को प्रभावित करते हैं - यह दिखाते हैं कि हमारा ब्रह्माण्ड मूलतः अनिश्चित है। यह निश्चित भी है लेकिन उस निश्चितता में अनिश्चितता का पुट भी है। यह ऐसे निश्चित सिद्धान्तों से संचालित होता है जिनमें मूलतः एक अनिश्चितता का पुट है। यहां किसी भी कार्य का परिणाम पूरी तरह निश्चित नहीं है। इन परिणामों के पीछे अनेक कारक होते हैं। यह अनिश्चितता काफी हद तक निश्चित नियमों के अनुसार सूक्ष्म ब्रह्माण्ड में अधिक और दीर्घ ब्रह्माण्ड मे कम होती है।
क्रमशः - क्लासिकल और आधुनिक फिजिक्स के संदर्भ में रोजमर्रा के अनुभवों और वास्तविकता में अन्तर