डियर आलोक ! तुम्हे किसी बात से न तो घबराने की ज़रूरत है और न ही अपने हौसले को मद्धिम करके जीना है. जैसे हो, अपनी धार के साथ आगे बढ़ते रहो. बीते कुछ साल तुम्हारे लिए अनगिनत चुनौतियो से भरा रहा. तुम्हे अनगिनत बार यह बात एहसास कराने की कोशिश की गयी, कभी प्यार से और कभी अपमानित करते हुए कि ये जो तुम जिस दुनिया मे जीते हो, ये आगे बिल्कुल काम नहीं आएगा. असल चीज़ है, अर्जित सत्ता. तुम सत्ता की भाषा मे सोचो, उसी तरह अपने को ढालने की कोशिश करो. तुम थोड़े वक़्त के लिए जरूर परेशान हुए. उदासी के लंबे दौर भी देखे लेकिन वापस अपनी ऊर्जा समेट कर अपने रास्ते पर पहले की तरह चलने लगे. मुझे तुम्हारा यह अंदाज़ देख कर अच्छा लगा. तुम्हे काट-छाट कर गमले का पौधा नही बनना है, तुम घास हो.. हर किए - धरे पर वापस से उग आओगे. तुम वही बने रहो. जब भी जीवन की डोर कमज़ोर पड़ने लगे, पाश की कविता “घास” दोहराना, तुम्हे मजबूती मिलेगी. तुमने अपने जीवन के कई ख़ूबसूरत साल लगा कर इतनी सारी डिग्रियाँ, सर्टिफिकेट और किताबे जुटायी है, वो महज काग़ज़ के टुकड़े नही है, तुम्हारे जीवन के सुरक्षा कवच है. वो तुम्हे जीवन भर सुरक्षित र...
Er.Alok Kumar Guest Lecturer -- Dept. of Mechanical Engineering Government Polytechnic Gaya (Bihar) Mobile # +91 9572617722 https://www.facebook.com/profile.php?id=61568369674881